बारिश तू मेरी दोस्त है ना
फिर क्यों नहीं पास आती है तू
आकर फिर से गले लगा ले मुझे
दूर से ही क्यों मुस्कुराती है तू
ऋद्धि अपने अतीत में खोई रहती है तभी उसकी ननद रिनी उसे वर्तमान में वापस ले आती है और बताती है कि भैया आ गए हैं और बहुत ही गुस्से में लग रहे हैं। ऋद्धि इतना सुनकर ही डर के मारे पीली पड़ जाती है और थर थर कांपने लगती है।
“रिनी , मेरी एक बात मानोगी?” ऋद्धि ने रिनी की तरफ ऐसी नजरों से देखा कि रिनी को अपनी भाभी की हालत पर रोना आ गया। उसे अपनी भाभी ऋद्धि से बहुत लगाव था मां के जाने के बाद वही तो थी जिसने उसे मां का प्यार दिया था, खुद ऋद्धि की उम्र भी रिनी से 4,5 साल ही ज्यादा थी लेकिन ऋद्धि हमेशा उसे अपनी बेटी की तरह ही प्यार करती थी और रिनी की हर जरूरत का ख्याल रखती थी , रिनी चाहती थी कि उसकी भाभी हमेशा खुश रहे, पर पता नहीं क्यों उसकी भाभी की आंखें हमेशा लाल रहती थी रिनी कुछ पूछती तो ऋद्धि बहाना बनाकर टाल देती। वो नहीं चाहती थी कि रिनी परेशान हो। रिनी अपनी भाभी की ऐसी हालत देखकर बहुत दुखी रहती थी लेकिन वो कुछ कर नहीं सकती थी आखिर वो घर में सबसे छोटी थी उसके लिए तो उसके भैया अच्युत और भाभी ऋद्धि ही सब कुछ थे, पापा तो मम्मी की मौत के बाद से ही घर से बाहर चले गए थे और तब से उनका कोई पता नहीं चल पाया कि वो कहां हैं और क्या कर रहे हैं और न ही उन्होंने कभी पलट कर रिनी और अच्युत की खबर लेने की कोशिश की। अच्युत भैया और ऋद्धि भाभी ने ही उसकी देखभाल की और उसे कभी मम्मी पापा की कमी महसूस नहीं होने दी।आज उसकी वही ऋद्धि भाभी उससे हाथ जोडकर कह रही हैं कि” रिनी मेरी बात मानोगी”. रिनी की आंखें बरस पड़ी उसने भाभी के दोनो हाथ पकड़ लिए और कहा 
“भाभी, आपके लिए तो मैं अपनी जान भी दे दूं , आप एक बार बोलिए तो सही मैं क्या कर सकती हूं आपके लिए? आप ऐसे हाथ मत जोड़ा करिए मेरे सामने , आप तो मेरी मां हैं, भाभी मां”, रिनी की रोते रोते हिचकियां बंध गई।
“मैं जानती हूं रिनी, तू मेरी हालत समझती है , तू ही तो है जिसके सहारे मैं इस घर में अपनी जिंदगी गुजार रही हूं वरना कब की इस दुनिया से चली गई होती”। ऋद्धि ने उसके बालों को प्यार से सहलाते हुए कहा रो तो वो भी रही थी लेकिन रिनी को रोता देख वो चुप हो गई।
“रिनी, अपने भैया से ये मत कहना कि मैं खिड़की के पास बैठकर बारिश देख रही थी, उनको अच्छा नही लगता । “ऋद्धि रिनी से बोली।
“भाभी , आप ऐसा क्यों कह रही हैं ? क्या भैया आपको कुछ कहते हैं क्या? आप मुझे बताइए मैं भैया से कहूंगी कि वो आपको कुछ ना कहें आप मेरी इतनी प्यारी भाभी हैं “। रिनी ने ऋद्धि को प्यार से गले लगाते हुए कहा।
“नहीं नहीं रिनी मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूं तुम उनसे कुछ मत कहना , मैं अब कभी खिड़की के पास नहीं बैठूंगी पक्का। पर आज तुम मुझे बचा लेना अपने भैया से कुछ मत कहना , कह देना कि भाभी सो रही थीं।” ऋद्धि डर के मारे कांप रही थी। 
रिनी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसकी भाभी ऐसा क्यों कह रही है, उसके भैया भाभी के बीच तो कभी झगड़ा भी नहीं होता , भाभी हर काम भैया के कहने से पहले ही रेडी रखती हैं , टाइम पे नाश्ता, टाइम पे खाना,सब कुछ , रिनी हमेशा अपने भैया भाभी को शांत देखती थी, वो लोग आपस में ज्यादा बात नहीं करते थे, भैया थोड़ा शांत स्वभाव के थे, भाभी जब नई नई शादी होकर घर आई थीं तो बहुत हंसती थी, सबको हंसाती रहती थी लेकिन धीरे धीरे वो भी शांत स्वभाव की हो गई , उनकी आंखें अक्सर लाल रहती , रिनी पूछती तो कहती कि आंख में कुछ पड़ गया है । पर रोज रोज तो आंख में कुछ पड़ता नहीं, रिनी सोच में पड़ जाती।
“भाभी , मैं भैया से कुछ नहीं कहूंगी, आप अब शांत हो जाइए, रोइए मत, देखिए आपकी आंखें कितनी लाल हो गई है, चलिए आराम करिए मैं भैया से कह दूंगी कि आप सो रही थीं, आपकी तबियत ठीक नहीं है,भैया को खाना मैं दे देती हूं आप आराम करिए।” रिनी ने अपनी भाभी को बिस्तर पर लिटाते हुए कहा। 
रिनी जैसे ही ऋद्धि को लिटा कर पीछे मुड़ी तो उसने दरवाजे के पास अपने भैया अच्युत को खड़ा हुआ पाया, वैसे तो रिनी को उसके भैया बहुत प्यार करते थे उसकी हर फरमाइश पूरी करते थे लेकिन उसे डर लगा कि कहीं भैया ने हमारी और भाभी की बाते न सुन ली हो। रिनी डरते डरते आगे बढ़ी , उसके भैया अच्युत मुस्कुराते हुए बोले।
“क्या हुआ गुड़िया? इतनी परेशान क्यों है तू , किसी ने कुछ कहा है क्या? तेरी भाभी ने तुझे डांटा क्या? अभी बोल मैं तेरी भाभी की खबर लेता हूं,।”
“नहीं भैया, मेरी भाभी तो बहुत अच्छी हैं मुझे बहुत प्यार करती हैं, उनको कुछ मत कहना आप,” रिनी जल्दी से बोली।
“हां वो तो मुझे अच्छे से पता है तेरी भाभी कितनी अच्छी हैं तभी तो सब बाहर वाले  उसकी तारीफ करते हैं ।” अच्युत ऋद्धि की तरफ देखते हुए बोला। ऋद्धि उसकी निगाहों को देखकर अंदर ही अंदर सहम गई।
अच्युत से ऋद्धि इतना क्यों डरती थी क्या कारण था जानने के लिए पढ़ते रहिए “अनदेखा मीत”
संगीता शर्मा” प्रिया”
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