हर घर में जब होगा प्यार
जब भाईयों में हो आपसी सौहार्द
जब रहें सभी मिलकर एक साथ
रुपये-पैसे से ना तौला जाए कोई रिश्ता
हर किसी को मिले सम्मान
तभी वहॉं होगा धरती का स्वर्ग 
जब पति-पत्नि में हो शुद्ध प्यार
ना हो सामाजिक स्तर बढ़ाने का दबाव
कम में भी कर ले वो गुज़ारा हर बार
एक-दूसरे को समझने का हो साहस
प्यार से मिल-बांटकर सुलझा लें हर मुश्किल
तभी होगा वहॉं धरती का स्वर्ग
बच्चों को मिले उचित संस्कार
ना हो आपस में कोई तकरार
बैठकर सभी करें एक साथ भोजन
साथ ही एक साथ करें मनोरंजन
दिन भर का लेखा-जोखा भी मिले वहीं
हर एक की ख्वाहिशों को समझें सभी
तभी होगा वहॉं धरती का स्वर्ग
चारों ओर हो खुशहाली
ना हो कहीं कोई बदहाली
सभी को मिले प्यार और सम्मान
ना हो कहीं कोई भेदभाव
बेटे-बेटियों को मिले समान अधिकार
तभी होगा वहॉं धरती का स्वर्ग।
© मनीषा अग्रवाल
इंदौर मध्यप्रदेश
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