कभी देखा तो नहीं पर सुना बहुत कुछ हैं..।
लेकिन हर इंसान का देखने का नजरिया अपना अपना होता हैं..।
किसी के लिए उसका घर स्वर्ग समान होता हैं.. तो कोई मंदिर और मस्जिद को स्वर्ग जैसा मानते हैं..।
पर असल में स्वर्ग होता क्या हैं वो आयद ही किसी ने देखा हो या समझा हो..।
कहा जाता है की इंसान के मरने के बाद उसके कर्मो अनुसार उसे स्वर्ग और नर्क दिया जाता हैं..। लेकिन मरने के बाद ऐसा कौन सा शख्स हैं जिसने बताया की असल में स्वर्ग ऐसा होता हैं..।
सच तो ये हैं की धरती पर अगर कहीं स्वर्ग हैं तो वो आपके भीतर हैं… ऐसी जगह जहाँ आप खुश होते हो… जहाँ आपको सुकून मिलता हो.. जहाँ आपको आनन्द मिलता हो..।
अगर आपको परिवार के साथ बैठने में खुशी मिलती है तो वो ही आपके लिए स्वर्ग हैं..।
अगर आपको किसी की मदद करके सुकून मिलता हैं तो वो भी आपके लिए स्वर्ग ही हैं..।
पुजा पाठ से आनन्द मिलता हैं तो वो आपके लिए स्वर्ग हैं..।
स्वर्ग बनाने के लिए हीरे, मोती, सोना ,चांदी.. की जरूरत नहीं होती…। ऊंचे महलों की जरूरत नहीं होती…। ऐश्वर्य के सामान की जरूरत नहीं होती…।
स्वर्ग के लिए चाहिए ऐसा माहौल जहाँ शांति हो… प्यार हो…।
सच कहें तो आनन्द जो खुशी किसी की जरूरत मंद की मदद करने से मिलतीं हैं वो खुशी शायद ही कहीं मिल सकती हैं..। जो खुशी परिवार के बुजुर्गों के साथ बैठकर मिलतीं हैं वो आनन्द शायद ही कहीं मिलता हो..। जो सुकून बच्चों की बातें सुनकर मिलता हैं वो शायद ही ओर कहीं मिलतीं हो..।
धरती पर अगर कहीं स्वर्ग हैं तो इन छोटी छोटी चीजों में ही हैं..।
रही बात कश्मीर की तो उसके बारे में सिर्फ सुना हैं कभी जाने का मौका मिला ही नहीं हैं..। मौका मिला जाने का तो जरूर बताएंगे की आखिर क्यूँ उसे स्वर्ग कहा जाता हैं..।
ये मेरा व्यक्तिगत नजरिया हैं….।