उसने अपनी माँ को ही, दैवी स्वरूप माना होगा।
धरा का जो भी प्राणी यदि इससे अनजाना होगा,
खोया होगा बहुत कुछ, खोकर जरूर जाना होगा।
नतमस्तक होते हैं ईश्वर भी, वचन ये दोहराना होगा,
माँ से ही जीवन, माँ से ही सब खोना पाना होगा।
धरती का स्वर्ग जिसने भी यदि पहचाना होगा,
उसने अपनी माँ को ही, दैवी स्वरूप माना होगा।
पूजा पीहू