साप्ताहिक आयोजन
विषय ;दौलत का नशा
गीत
तर्ज़ नकली चेहरानशा अनेकों है,
इस जग में,नशा में जग ये गया नशा।
सभी नशाओ से बढ़कर है,
दुनिया में दौलत का नशा।
1गांजा भांग अफीम चरस ये तन को र्निबल करते हैं।
सेवन करके नित शराब का,
जीवन से छल करते हैं।
टेक नशा नाश की जड़ है भाई,
देता तन मन धन को नशा 0………..
2 इज्जत सोहरत और मोहब्बत का जो नशा चढ़ जाता है। अपनी बात मनाने खातिर श्रद्धा सम अड़ जाता है।
टेक पैंतीस टुकड़ो में तन कट गया अजब प्यार का गजब नशा 0……….
3. दौलत का है, नशा निराला,पर उपकार में जो आये।
दीन हीन र्निबल का सहारा,काश नशा ये बन जाये।
टेक इस दौलत के नशा में हर पल दुनिया का हर शख्स फंसा 0………..
4 नशा न करना कभी भूलकर, नाश नशा से होता है।चैन सकून सभी खो जाता,सोच सोच नर रोता है।
टेक केबलराम नाम से प्यारा जग में कोई नहीं नशा 0……….
सभी नशाओ से बढ़कर है, दुनिया में दौलत का नशा।नशा अनेकों है इस जग में जग ये सारा गया नशा।0….
बलराम यादव देवरा छतरपुर