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खुशनसीब है हम पाकर यह , दो पल की जिंदगी।
बनकर जीये इंसान हम यह, दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर———–।।
जीवन है दिन-रात की तरह, कभी धूप तो कभी अंधेरा।
नहीं बनाये नहीं पराजय यह, दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर———–।।
जाति- धर्म और मजहब पर, नहीं करें कभी भेदभाव।
पूजे हमें याद करके हमारी यह , दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर———-।।
छल- कपट और बेवफाई, हम ना किसी से करें कभी।
वादे पर मर जाना सिखाती है यह,दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर———–।।
सबकी सुने, सबका ध्यान रखें, खुश हमसे हो यहाँ सभी।
पल दो पल का साथ हमारा है यह, दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर———–।।
हो जाये बलिदान खुशी से, अपने चमन-वतन के लिए।
हमपे कर्ज है अपने वतन का यह , दो पल की जिंदगी।।
खुशनसीब है हम पाकर———–।।
रचनाकार एवं लेखक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद