यार, दोस्त, मित्र,
सखि, सहेली,
जो भी कह लो,
दोस्त!! होता तो है कुछ खास,
संजीदगी में भी जो,
चेहरे पर ला दे मुस्कान,
फरमादार कह लो,
दोस्त!! होता तो है कुछ खास,
परेशानियों हों कितनी भी,
कैसी भी आएं मुसीबतें,
खड़ा रहे जो साथ,
दोस्त!! होता तो है कुछ खास,
हंसी ठिठोली करे,
पेट में उठ जाए मरुड़,
करे न कोई गिला शिकवा,
दोस्त!! होता तो है कुछ खास,
हँसी मजाक भी करे,
गलती पर आपकी जो,
दे सके आपको समझाइश,
दोस्त!! होता तो है कुछ खास,
दोस्ती में न होती कोई,
जात पात न अमीरी गरीबी,
कृष्ण सुदामा है मिसाल,
दोस्त!! होता तो है कुछ खास,
दोस्तों के बीच कभी,
न होता कोई दुराव छिपाव,
किसी से न कह सकें जो बात,
दोस्त!! होता तो है कुछ खास,
कब हो जाती बतियाते,
सुबह से शाम रात,
मन मिले का है ये सार,
दोस्त!! होता तो है कुछ खास,
न ही कोई नाता,
न कोई रिश्तेदारी,
न ही खून का रिश्ता,
दिल से दिल मिले का नाता,
दोस्त!! होता तो है कुछ खास,
मिले जो सच्चा दोस्त,
न हो मन में कोई खोट,
मिला है ईश्वर से तोहफ़ा,
बन कर आया वो फ़रिश्ता,
दोस्त ही तो है!! 
दोस्त!! होता तो है कुछ खास ।
    काव्य रचना-रजनी कटारे
           जबलपुर म.प्र.
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