शहीदे आजम भगतसिंह जैसे,
क्रांतिकारी शूरवीर बलिदानी।
न्योछावर कर दिया देश हित,
अपनी आजादी हेतु जवानी।
पृथ्वी पर ये वीर पड़े बहुत हैं,
पर उनकी तो बात निराली है।
सीमा की सुरक्षा जो करते हैं,
जिनके हाथों में रखवाली है।
भारत माता के हैं लाल सभी,
गाथाएं उनकी गौरवशाली है।
सब गर्व करें उनके ही ऊपर,
साहस जिनका बलशाली है।
देशभक्ति से वह हैं ओत प्रोत,
यह ही सच में भाग्यशाली है।
हम भूलें नहीं उनको याद रखें,
वह देश भक्त ही बलिदानी है।
झंडा भारत का ऊँचा लहराये,
इसका इतिहास गौरवशाली है।
यह आजादी जो मिली हमको,
राष्ट्रप्रेम  देशभक्ति निशानी है।
वीरों ने दी हैं कितनी क़ुरबानी,
वीरों ने क्रांति मशालें हैं थामी।
सब सत्य अहिंसा पर चल कर,
बापू के दिखाये राहें ही थामी।
शहीदे आजम सर.भगत सिंह,
नेशनलकालेज के विद्यार्थी थे।
मन उनका भरा देशप्रेम से था,
1923में वे लाहौर में पढ़ते थे।
जन जागरण हेतु ड्रामा क्लब,
जाके उसमें भाग भी लेते रहे।
क्रांतिकारियों अध्यापकों और,
साथियों से नाता भी जोड़ा है।
भारत को आजादी कैसे मिले,
इस विचार का दौड़ा घोड़ा है।
दादी को पोता बड़ा था प्यारा,
दादी ने शादी की बात चलाई।
शादी नहीं करेंगे दिये कई तर्क,
उनसे एक तर्क नहीं चल पाई।
लिखा पिता को पत्र वहाँ छोड़े,
कानपुर में क्रांतिकारी से मिले।
प्रताप के संपादक से भेंट किए,
गणेश शंकर विद्यार्थी जी मिले।
काम शुरू कर दिया प्रताप में,
बीके दत्त शिव वर्मा वहाँ मिले।
क्रांतिकारी साथियों में वहाँ पे,
विजय कुमार सिन्हा जी मिले।
कानपुर आना क्रांति रास्ते पर,
चलना ये एक बड़ा कदम बना।
शहीद भगत सिंह के जीवन में,
ये शहर क्रांति का अग्रदूत बना।
भगतसिंह के जीवन में मकसद,
अंग्रेजों से देश की थी आजादी।
घर अपना छोड़ रहा हूँ देश हेतु,
गोरों से लोहा लेके दूँ आजादी।
पिताजी याद है ना मैं छोटा था,
बापजी के यज्ञोपवीत में एलान।
मुझे खिदमत-ए-वतन के लिए,
बहुत पहले ही किया था एलान।
उसी प्रतिज्ञा को पूरी करने अब,
मैं वहाँ जारहा देने यह इम्तहान।
गोरों की गुलामी से आजादी में,
गोरों के बर्बरता का लूँ इंतकाम।
उम्मीद यह आप मुझें माफी देंगे,
देशप्रेम मेरा रंगा वसंती चोला है।
आजादी के लिए जीना मरना है,
मेरे रग – लहू में राष्ट्रप्रेम घोला है।
असफाक उल्ला,भगत सिंह एवं,
राजगुरु यह फाँसी पर झूल गये।
हँसते हुए इन वीरोंने देशभक्ति में,
निज प्राणों को बलिदान कर गये।
रचयिता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पीबी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
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