” नित्य ही देर रात सड़कों पर दौड़ती गाड़ियां और पुलिस की चौकसी तभी तो हम घरों में चैन से सोते हैं। 
देर रात हर परिस्थिति और मौसम में अपना कर्त्तव्य निभाते हैं सैनिक सुरक्षा बल और सीमा सुरक्षा बल अपने घर-परिवार का साथ छोड़कर तभी तो हम सुकून से घरों में सुख-चैन से करते हैं विश्राम, लेते हैें आनन्द उत्सवों और समारोहों का इतना ही नहीं जीवन के पल पल के साक्षी बन पाते हैं। अपने बच्चों की किलकारियाँ नित नई सुन पाते हैं। क्या कहूँ कितना कहूँ? फिर भी रह जाएगा कुछ न कुछ अछूता, कलम भी रह जाएगी भूखी प्यासी और अंतस्तल के भाव भी रह जायेंगे अधूरे के अधूरे। हे मेरे आराध्य! बस इतना करना इन कर्मशीलों की ज़िन्दगी में कभी भी धुंध न आने देना,मेरे विश्वास को बल देना।सारे जग में खुशियों की ऐसी जगमग ज्योति जला देना कि रात की छाया भी न पड़ सके।
धन्यवाद!
राम राम जय श्रीराम!
लेखिका – सुषमा श्रीवास्तव, मौलिक विचार, सर्वाधिकार सुरक्षित, रुद्रपुर, उत्तराखंड।
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