देखा नहीं उनको तो कभी,जिनको लोग याद करते हैं।
देखेंगे हम तो आपको , कि अब आप क्या करते हैं।।
देखा नहीं उनको तो कभी—————-।।
कहती जिनकी कहानी, यह जमीं ये हवाएं।
पढ़ी है मैंने तो सिर्फ किताबों में, ये कथाएं।।
किसने लिखी यह दास्तां ऐसी, अपने बलिदान से।
देखेंगे अब इस देश के लिए, कुर्बान आप क्या करते हैं।।
देखा नहीं उनको तो कभी—————–।।
कौन हुआ है शहीद इसके लिए, नींव का पत्थर बनकर।
कौन है तैयार इसके लिए, करने खत्म खुद को हंसकर।।
किसको नहीं है मोहब्बत, यहाँ अपनी जिंदगी-सुख से।
देखेंगे अब इस देश के लिए, त्याग आप क्या करते हैं।।
देखा नहीं उनको तो कभी——————।।
उत्सुक है हर कोई यहाँ, देश का ताज पहनने को।
बनकर कंगूरा देश में , अपना नाम अमर करने को।।
बहुत आसान है लिखकर गजल, महफ़िल में सुनाना।
देखेंगे अब इस देश के लिए, बलिदान किसका करते हैं।।
देखा नहीं उनको तो कभी—————–ll
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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