दूरदर्शन की बात ही कुछ और थी,

सब दिखता था सादा- सादा
लेकिन रंग भरी रंगोली थी
दूरदर्शन की बात ही कुछ और थी…..।
देश दुनिया की खबरें सिर्फ,
सुबह शाम मिलती थी
दूरदर्शन की बात ही कुछ और थी…।
रामायण और कृष्ण कथा ,
पूरे परिवार के साथ देखती थी
दूरदर्शन की बात ही कुछ और थी…..।
गिने चुने थे धारावाहिक फिल्मों,
का था बस तीन दिन
इतने में खुश रहती थी
दूरदर्शन की बात ही कुछ और थी…..।
वक्त गया है आज बदल ,
इतने सारे आ गए चैनल
परिवार हो गया है एकल
टीवी से अच्छी हो गई मोबाइल
टीवी भी आज सोच रही
दूरदर्शन की बात ही कुछ और थी…..।
…….@ऋचा कर्ण ✍️✍️🙏
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