भारत में दूरदर्शन की स्थापना 15 सितंबर 1959 को दिल्ली में हुई थी। शुरुआत में टेलीविजन पर प्रसारण आधे -आधे घंटे के लिए किया जाता था। दूरदर्शन पहले टेलीविजन इंडिया के रूप मे जाना जाता था , बाद मे 1975 में दूरदर्शन का नाम दे दिया गया।
प्रारंभ में दूरदर्शन की विकास यात्रा काफी धीमी थी। पहले ब्लैक एंड वाइट प्रसारण किया जाता था। 1982 में रंगीन टेलीविजन आने से लोगों का रुझान काफी बढ़ गया।
दूरदर्शन मात्र मनोरंजन का ही चैनल नहीं था अपितु राष्ट्रीय चैनल होने के साथ-साथ सांस्कृतिक भारतीय ऐतिहासिक का चैनल हुआ करता था आज के युग में सौ चैनल निकल गए मगर दूरदर्शन की बराबरी आज भी कोई नहीं कर सकता है।
दूरदर्शन का दौर भी क्या दौर था। दूरदर्शन के सीरियल को याद आज भी दर्शक करते है।
रविवार का इंतजार सभी लोग किया करते थे और सुबह पहले उठते ही सबसे पहले रंगोली देखा करते थे। इसका इंतजार लगभग सभी को रहा करता था और बच्चों की वह कार्टूंस “डोनाल्ड डक” ,”अंकल स्क्रूज” , “अप्पू राजा” , “मोगली जंगल जंगल बात चली है पता चला है” उस युग के बच्चों को आज भी याद है। सुबह. 9:00 बजे प्रसारित किया जाता था रामायण बच्चों से लेकर बड़े तक सभी इस सीरियल का इंतजार करते थे फटाफट काम करना और अगर एक टीवी हो तो सारे मोहल्ले वाले एक टीवी के आगे हाथ जोड़ कर बैठ जाते और “अरुण गोविल” और “दीपिका” को ही राम सीता के रूप में मानते पूजते थे। ऐसी कई ऐतिहासिक सांस्कृतिक सीरियल दूरदर्शन प्रसारण क्या करता था जैसे महाभारत , टीपू सुल्तान, रानी लक्ष्मी बाई, चंद्रकांता ,
लोक नृत्य संगीत , हम लोग ,बुनियाद, मालगुडी डेज से याद आता है तनतनननन करके एक म्यूजिक बजती थी सीरियल होने से पहले हम कही भी रहते दौड़कर टीःवी के सामने आकर खड़े हो.जाते थे।विक्रम बेताल ,उड़ान , चित्रहार, सुरभि ,सर्कस, सिग्मा मुँगेरी लाल के हसीन सपने , इत्यादि उस समय के मनोरंजन के कार्यक्रम है जो हर वर्ग के लोग बहुत पसंद करते थे। दूरदर्शन का मुकाबला आज भी कोई नहीं कर सकता है , मर्यादित सीमा मे दिखाया जाता था ,सारा परिवार एक साथ बैठकर हर कार्यक्रम का लुत्फ ले सकता था।
आज के समय में टीवी की जगह मोबाइल ने ले ली है।
अत्यधिक कोई भी चीज अच्छी नहीं लगती है । आज के वक्त के जैसे नहीं था कि 24×7 घंटे चला करता था। दूरदर्शन ने 63 वा वर्ष पूरा किया है मगर आज भी सबके दिलो दिमाग में अपनी छाप बनाए हुए हैं।
शिल्पा मोदी✍️