एक वही शख्श

मेरी हर कहानी
हर किस्से में आया
जो मेरा होकर भी 
न मेरा हुआ,
न मेरे हिस्से में आया।
निभाते रहे उम्र भर
पूरी दुनियां से रिश्ते
मगर अफसोस
जिससे दिल का रिश्ता था
वहीं मेरे रिश्ते में न आया।
एक हूंक है शर्म भी है
रिश्तों की मौत का मातम भी है
न उसने पलट के देखा
न फिर  कभी मैने उसे बुलाया।।
डॉ0 अजीत खरे
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *