आलीशान दोगे ज़िन्दगी , तो संघर्ष कैसे जानेगा!
ये आज का युवा है, बिना बात एक कंकड़ भी न बिनेगा!!
तुम कहते हो दिग्भ्रमित है, कर्तव्यों से पथ भ्रमित है!
क्या लालन पालन किया था वैसा? जो बोयेगा वही तो कटेगा!!
आलीशान दोगे ज़िन्दगी……
न अपनो का सम्मान है करता, न बड़ो की बात पे चलता!
प्रणाम करने का चलन तो खो गया, अब हाय बाय है करता!!
तुम कहते हो संस्कार रहित है, पश्चिमी शैली से बंधित है!
क्या जीवन ज्ञान दिया था वैसा?जो देखेगा वही तो दोहरायेगा!!
आलीशान दोगे ज़िन्दगी….
न दिल मे अब देशप्रेम है, नशे के पथ पर सिर्फ युवा खेल है!
राष्ट्रहित की अब कौन सोचता, परवरिश का ही तो सारा खेल है!!
तुम कहते हो ये सब षड्यंत है? क्या जीवन का मूल मंत्र है?
क्या संस्कारो से रंगा था वैसा?
कैसे निखरेगा गर ठोकर न खायेगा!!
आलीशन दोगे ज़िन्दगी…
~ राधिका सोलंकी