पाश्चात्य सभ्यता ने किया हमारे युवाओं को दिशाहीन
संस्कारों के अभाव में ये
हुए हैं संस्कार हीन!!
बाह्य दिखावे के चक्कर में ये, अपनी बुद्धि पे पत्थर डाले ,
कम उम्र में स्कूटर लेकर ,इधर उधर वो भागे!
उल्टे सीधे काम वो घर में, झूठ बोलकर करते
लंबी लंबी हांक दोस्तों में, शेखी हैं बघारते !!
सिगरेट गांजा चरस शराब के, शिकार ये झट हो जाते ,
पब डांस बार में ये तो, अक्सर पाए जाते!
लिविंग रिलेशनशिप में रहते ,शादी नही है करते
मां बाप को ये युवा, तनिक भी ना सटियाते!!
अत्यधिक सुविधा पाकर ये युवा, दिग्भ्रमित हो जाते
पैसे की कीमत क्या है, नही जानना चाहते !
चादर से लंबे पांव फैलाने की आदत इनकी पड़ जाती,
इच्छाओं का अंत नहीं ये, बात समझ न आती !!
संयुक्त परिवार में जब बच्चे थे पलते , बुजुर्गो का सम्मान व ,आदर थे वो करते !
अब एकल परिवार में युवाअपनी मनमानी हैं करते
अब वो मां बाप से नही मां बाप है उनसे डरते !!
पैसे की हवस में वो ,अनौपचारिक कार्य भी करते
लूटपाट अपहरण अनेकों ,अपराध करने से बाज न आते !
आज की दिग्भ्रमित युवा, मां बाप पे धौंस दिखाते ,
बात बात में आत्महत्या की, धमकी उनको देते!!
अशिष्टता चरित्रहीनता इनकी ,रग रग में है बसता,
बड़े छोटे का लिहाज अब, इनमे, जरा भी ना रहता !
दंगे फसाद की जड़ ,दिग्भ्रमित युवा
ही होते,
पत्थर बाजी आगजनी की वारदातें ये ही है करते!!
संभल जाओ युवा वर्ग जरा,दिग्भ्रमित मत होओ
देश का भविष्य टिका है तुम पर इतना तो तुम सोचो!
तुम जैसे हो वैसे ही तेरी, अगली पीढ़ी होगी
जैसी करनी वैसी भरनी कहावत सिद्ध होगी!!
छोड़कर पाश्चात्य सभ्यता, संस्कारों को अपनाओ ,
जननी जन्मभूमि को, सत्कर्मों से सजाओ!
देश के हित के खातिर कर दो, तन मन धन सब अर्पण,
नित बढ़े भारत मां का गौरव, अपना उद्देश्य बनाओ !!
पूनम श्रीवास्तव
नवी मुम्बई
महाराष्ट्र