पंक्षियों को डाल दो दाना और पानी।
गर्मी की ऋतु आई चारों ओर उडे़ धूल।।
बूँद -बूँद सहेजो मत जाना भूल।
प्यासे जीवों के लिए पानी भरकर रखना।।
अपना काम कभी न भूलना।।
जल का उपयोग करना।
सबके लिए पानी बचाना।।
भोलेनाथ की पिण्डी के ऊपर जल भरा कलश बाँधना।
जलधार बहे पौधों पर ध्यान रखना।
बूँद बूँद सबके लिए सहेजना।
आने वाली पीढि़यों की धरोहर बचाना।।
जल ही जीवन है संरक्षण संवर्धन करना।।
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित सर्वाधिकार सुरक्षित डॉ आशा श्रीवास्तव जबलपुर