आज़ आप कहां हो,
जमीं या आसमां में छुपे हो,
या तारों में, या चांद में,
सूरज की किरणों में या महकती फिज़ाओं में,
कहां हो आप पता नहीं,
हर पल हर जगह आपको महसूस करते हैं,
पास तो नहीं हो फिर भी आपको साथ पाते हैं,
आपके वर्दी पर लगे खून के दाग़ देख के,
खुद पर हम नाज़ करते हैं,
एक पल के लिए पैरों तले से ज़मीं खिसक गई थी,
जब आपकी मौत की खबर घर आई थी,
जब पता चला की देश के लिए जान दी है आपने,
फिर बिना रोए अपना सिंदूर पोंछी थी,
आपकी वर्दी पर लगे दाग़ देख के बेटी हमारी अब भी रोती है,
इस साल दिवाली पर पापा आयेंगे या नहीं पूछती है,
रात को आसमां में तारों को देखती रहती है,
चांद पर लगे दाग़ को देख के फिर घबरा जाती है,
आपकी वर्दी पर लगे खून के दाग़ देख कर
अम्मा बहुत रोती है,
मेरे बेटे ने इस जहां के लिए जान दी है बोल कर,
सीना ऊंचा करके फिर हंसती है,
आपके नाम की मेंहदी लगाई थी इस बार,
वो दाग़ अभी तक छूटा नहीं है,
और आपकी वर्दी पर लगे खून के दाग़,
छुटाने से भी नहीं छूटते हैं,
ये दाग़ अच्छे हैं,
आपके जाने के बाद भी आपका पास होना 
महसूस करातें हैं,
माथे से भले ही सिंदूर के दाग़ मिट चुके हैं,
पर दिल पर लगे आपके प्यार के दाग़ अब भी निखरते हैं,
जब भी इस दाग़ को देखती हूं,
अपने अंदर संघर्ष का दिया जला लेती हूं,
आप जो परिवार की ज़िम्मेदारी दे कर गए थे,
आपके बिना उसे संभाल रही हूं,
एक पत्नी अपने पति से बहुत कुछ चाहती है,
मैं तो बस आपका साथ चाहती थी,
जब आपने मुझसे पहले भारत मां को चुना,
तब से बस आपकी सलामती की दुआ मांगती थी,
आप चले गए, ये दाग़ छोड़ गए,
इसी दाग़ को मैं अपनी ताक़त बनाऊंगी,
आपकी तरह नहीं सही, आपके दिखाई राह पर चलूंगी,
चाहे मेरा अस्तित्व क्यों न मिट जाए,
आपकी वर्दी पर लगे खून के दाग़ की जो कहानी है,
ना मैं भूलूंगी, ना ही किसी को भूलने दूंगी……
© ज्योतिजयीता महापात्र
ओडिशा
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *