कैसे कहा जाए दर्द उनका, 
जिसे, सोच के भी रूह काँप जाती है, 
उजाले मे भी अंधेरा  नजर आता है, 
जब बात हो शहीदों के  घर  वालो का, 
              तो दर्द न पुछो उनका, 
         मत, पूछो उस माँ का हाल, 
          जिसने खोया अपना लाल, 
पिता के आंसू कैसे  रुके जिसने दिया बेटे को कंधा फिलहाल,
           बेसुध पडी़ शहीद की  बहना,
            भाई से छिन गया बड़े भाई का  साथ, 
कौने मे बैठी सुबुक सुबुक रो रही बीवी, 
       इस भुचाल  से है अवा्क , 
      बेटे ने जो रट लगाई , कब आऐगे  पापा मेरे,
कैसे कोई बताए तेरे सर का हाथ अब नहीं देगा तेरा साथ, 
घर भी है सुना सुना, खाली है सबकी थाली, 
पुरा घर भी रो रहा, क्योंकि  सो गया है माली, 
शहीदों के परिवारों को शत् शत् नमन। 
जिसने अपने चिराग को खो के कई चिरागों को रौशन किया
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