तेरे जाने के बाद
किसी को न अपना बनाया
जो तू नही रहा पास मेरे
किसी को न इस दिल में बसाया ।
हवाओं में भी कोई न छाया
किसी का न पैगाम मन में बसाया
किसी भी राह में गई मैं
रास्ता तेरी गली तक ही सिमट आया।
वो सूखा गुलाब जो था तुमने दिया
किसी भी ताजा गुलाब से कम न हुआ
काटे तो चुभाए उसने मगर
उस सा इश्क किसी से न हुआ
आखों से आसूं अब आते नहीं
किसी गम का असर अब न हुआ
थाम लिया अब हाथ गर्दिशो का
चांद तारों से भी अब रौशन न हुआ ।
अरमान जो अटखेलियां करते थे
किसी बात पर अब रश्क न हुआ
तू जो गया मेरी ज़िन्दगी से “राधे “
क्या बताए तुझे क्या क्या न सितम हुआ
रेणु सिंह राधे ✍️
कोटा राजस्थान