तुम जो पास आये तो किस्मत बदल गई
बड़ी नासाज थी तबीयत, अब बहल गई
जेठ की दुपहरी सा तपता था अकेलापन
घनी जुल्फों की छांव से जिंदगी बदल गई
तेरी हर शोख अदा जैसे बहारों का कारवां
जमाने की मुझको जैसे हर खुशी मिल गई
पलकों की चिलमन के इशारों से पयाम आया
बेताब दिल की सनम, हर धड़कन मचल गई
पहली छुअन की ताजगी संभाल के रखी है
जैसे कि दिल पे हजारों बिजलियां सी चल गई
एक मुस्कुराहट ही बस जीने के लिए बहुत है
तेरी मेहरबानियों की वर्षा से मेरी झोली भर गई
हरिशंकर गोयल “हरि”