अधूरी ख्वाहिशों की दीवानी है
इन धड़कनों में तेज रवानी है।
सुख की छाँव या गम की धूप
हर हाल में हमें तो निभानी है।
करीब होकर भी दूरियाँ दरमियां
बात छोटी पर आँखों में पानी है।
जिम्मेदारियां कह रही रहने दे
मन में पर बाकी थोड़ी नादानी है।
बुला रही आवाज़ की गूंज नई
लगता है जैसे दस्तक पुरानी है।
बेपरवाह ये ज़माने भर से रही
सबसे जुदा ‘तेरी मेरी कहानी’ है।
मुक़म्मल होगा कभी ये किस्सा या
बेमतलब हो ‘आस’ किसने जानी है।
शैली भागवत ‘आस’