तेरी बिंदिया चम चम चमके
रूप कई दिखाए
दिन को दमके सूरज बन कर
रात चंद्र बन जाए
रहे सुशोभित तेरे भाल पर
आभूषण कहलाए
मन से भाती मुझको भी ये
मान मेरा बढ़ाए
तेरे श्रृंगार का है एक हिस्सा
बता रहा दुनिया को किस्सा
हम तुम बंधे प्रेम डोर से
ये सबको बतलाए
तेरी बिंदिया चम चम चमके
रूप कई दिखाए।
रूप की बहार बन ये तेरे मुख
पर छाई है
शोभा जीवन की इसने अपने
बढ़ाई है
छोटे से आकार में इसके दुनिया
की गहराई है
इस बिंदिया में तेरी मेरी प्रीत
समाई है।
गहरे विश्वास की परछाई
इसमें समाहित पाई है
इसने ही मेरे जीवन में
हर पल ‘आस’ जगाई है।
शैली भागवत ‘आस’