अम्बर की जब प्यास बुझाने, उड़कै गई बदरियां।
अम्बर ने तब उनसे कहा, तुम भर दो सागर नदियां।।
अम्बर की जब प्यास————-।।
देख जमीं का जीवन कबीरा, बात यह सबको बताये।
धन्य है जीवन उसका, जो परहित के काम आया।।
अम्बर की जब प्यास————–।।
महका जब उपवन फूलों से, माली को उपवन यह बताये।
इन फूलों को उसपे चढ़ा दे, तन जो वतन के काम आया।।
अम्बर की जब प्यास————–।।
दरख्त वो किस मतलब का है, छांव जो दे नहीं पाये ।
सागर का वह नीर भी क्या, जो पीने के काम न आया।।
अम्बर की जब प्यास————-।।
क्या लाया है साथ तु बन्धे, साथ में क्या ले जायेगा।
कर दे अर्पण मानवता को, छोड़कै तु यह मोहमाया।।
अम्बर की जब प्यास————–।।
रचनाकार एवं लेखक- 
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
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