तुम बिन जीवन, जीना नहीं।
तुम बिन जीवन, कुछ भी नहीं।।
सपना तुम्ही हो, मेरे जीवन का।
तुम बिन खुशी मेरी, कुछ भी नहीं।।
तुम बिन जीवन——————–।।
एक रोशनी बनकर, आई हो तुम।
एक गुलशन बनकर, आई हो तुम।।
रोशनी तेरे बिना, नहीं जीवन में।
तुम बिन महक, कुछ भी नहीं।।
तुम बिन जीवन——————।।
कितनी हसीन, तुम लगती हो।
माहताब जैसी, तुम लगती हो।।
नहीं कोई खूबसूरत, तुम जैसा।
तुम बिन मुहब्बत, कुछ भी नहीं।।
तुम बिन जीवन——————-।।
जोड़ी हमारी, रब ने बनाई है।
किस्मत हमारी, रब ने सजाई है।।
निभाऊंगा अपना वादा, मैं तुमसे।
तुम बिन दुनिया यह, कुछ भी नहीं।।
तुम बिन जीवन——————।।
साहित्यकार एवं शिक्षक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)
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