आदतें रिहायते बेकरारी
तुम पर हर एक चीज वारी
सोचो कभी तो, जाने जाना
तुम न होते तो क्या हालत होती हमारी
हसरतें ख्वाहिशें राजदारी
तुम हो तो सारी दुनियां है हमारी
आगोश में मौसम के हर इश्कदारी
तुम न होते तो क्या इश्क क्या इश्क की ख़ुमारी
तोहमतें उलहाने शिकायतें
तुम हो तो करते हैं यह बात हमारी
रुखसत हो ना जाए यह यादगारी
तुम न हो तो क्या वजूद क्या अधिकारी
तहज़ीब अदब मिन्नतें
तुम हो तो रास आती है नामदारी
हर एक चीज़ ठीकाने पर है होगी
तुम न हो तो क्या दुआ ,क्या आशिकी हमारी
इसका उसका हर किसी का
तुम हो तो नखता उठाया हरबारी
आग सीने में दबा दूं , बर्फ़ पिघल जाए
तुम न हो तो क्या दीवानापन क्या दिल्लगी हमारी
© रेणु सिंह ” राधे ” ✍️
कोटा राजस्थान