तुझे कभी भुला नहीं पाई,

कोई भी ऐसा वक्त नही जिसमें तेरी याद न आई l

रिशता ही तेरा मेरा ऐसा था,

तेरी आंचल और ममता से जुडा़ था,

फिर भी तु चली गई मुझे करके पराई l

कभी कभी तेरी याद बहुत ही आती है ,

उस दिन तु मेरे सपनों मे आती है,

मुझे दुलार करके तु चली जाती है l

कितने खुबसूरत है वो हमारे साथ के किस्से,

पर अब नहीं वो मेरे हिस्से l

तुने जिसकी पूजा की उसके पास भी चली गई,

पर मेरी पूजा के लिए माँ तु क्यों नहीं आई ll

प्रीती उपाध्याय@

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PritiUpadhyay

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