मन करता है सारा जीवन रंगों से ही भर दूं
तितली बन जाऊं और जग को रंग बिरंगा कर दूं
चंद दिनों के जीवन में ही खुशियां वह भर जाती
रंग बिरंगी होती कितनी सबको ही भा जाती
फूलों का रस चूस चूस कर खुशबू सदा लुटाती
संघर्षों का जीवन जीकर सीखे कई दे जाती
फिरती रहती बगिया में वह चैन कहीं ना पाती
कितनी भी कोई कर ले कोशिश हाथ नहीं वह आती
मन करता है सबका जीवन
बहुरंगी में कर दूं
तितली रानी बन जाऊं और
सबकी झोली भर दू
प्रीति मनीष दुबे
मण्डला मप्र