जब कोई बात दिल में घर बना लेती है
दिमाग में जाकर ताण्डव मचाती है।
तब दिल और दिमाग में द्वंद छिड़ जाती है
तनाव और चिंतन से इंसान उलझकर रह जाता है।
मानसिक और भावनात्मक रुप से हारने लगता है
उसे अपने चारों ओर तमस ही तमस नजर आता है।
मन और तन में निराशा ही निराशा छाने लगता है
स्वभाव में आक्रोश छलकनें लगता है
मष्तिष्क में नकरात्मक ख्यालों का भाव बहने लगता हैं
इंसान हिम्मत करके उठना चाहता हैं
मगर स्वयं का शरीर साथ देंनें सें इंकार कर देता हैं।
दर्द ही दर्द पूरे शरीर में महसूस होने लगता है
चिड़चिड़ापन मन मस्तिष्क में हावी होंनें लग जाता हैं
वो अपनी सुध् बुध् सब खो बैठता है
सोंचनें समझनें की शक्ति क्षीण होंनें लगती हैं
न ही अपनें, न ही ये दुनिया अच्छी लगती हैं
अपने आप में घुटन महसूस होने लगती हैं
खुद से ही विरक्ति होने लगती है
नजर आता है मौत को गले लगाना 
नहीं, मत धकेलो उसे, बचा लो डिप्रेशन से
बहुत नाजुक और कोमल होता हैं मानव मन 
अपने व्यस्त जिंदगी से थोड़ा समय निकाल कर समझो उन्हें।
 थोड़ा प्यार, थोड़ा देखभाल, थोड़ा साथ देकर डिप्रेशन से बचा सकते हो तो बचा लो उन्हें।
शिल्पा मोदी✍️✍️
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