ठंड के दिन 

यह ठंड के दिन 
लगते हैं बड़े प्यारे, कुछ सुनहरे कंपकंपाते
 ठिठुरते से न्यारे ,
ये ठंड के दिन।
गर्म रजाई कंबल की निवास
 सुबह उठने में जिंदगी लगे उदास,
 बस उठना ही लगता बहुत ही भारी
 नहीं तो सारे दिन की हो जाए चुटकी में तैयारी।
नहाते हुए याद आ जाए नानी
 छूनेको मन ना करे ठंडा पानी,
 हम ड्राई क्लीन होकर रोज  मम्मी को दिखाते
 कितने दिन यूं ही ठंड में बीत जाते।
गरमा गरम परांठे, हलवा ,पकौड़े खाओ
 इधर खाओ उधर हजम करते जाओ,
 गर्म चाय की आती पल-पल बारी
 सूप, कॉफी ने इन दिनों बाजी मारी।
खुदा दुनिया को ठंड से बचाना
 अपना  एसी थोड़ा धीरे चलाना
 लोगों के मन में थोड़ी दया जगाना 
जो ज्यादा है किसी जरूरतमंद को दिलवाना।
ठंड का कहर दोस्तों लगातार है जारी
 पुराने कंबल स्वेटर बांटने की कर लो तैयारी।
स्वरचित सीमा कौशल यमुनानगर हरियाणा
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