बारिश के कारण सड़कों की बुरी हालत हो गई थी ।सड़क पर बड़े बड़े गड्ढे हो गए थे और कंक्रीट भी इधर उधर बिखरी रहती थी जिससे नागरिकों को परेशानी होती थी । ऐसी ही सड़को से सोहनलाल को ठेला लेकर नित्यप्रति निकलना पड़ता था ।
नागरिकों ने लोक निर्माण विभाग केअफ़सरों से शिकायत भी की पर काम कागजी कारवाही तक काम सीमित रहता था ।
सोहनलाल एक अधेड़ उम्र का मजदूर था।वह ठेले पर भरी हुई बोरियों का बोझ लिए एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाता था ।बदहाल सड़कों के गड्ढों से जैसे तैसे बचता हुआ जाता फिर भी पहिया कभी भी टूटीफूटी सड़क के गड्ढे में धँस जाता । मजदूर था तो कोई मदद को भी नहीं आता था ।जब तक शरीर में ताकत थी खींच ले जाता था । अब थोड़ा थकने लगा था ।
एक बेटे का पिता था चाहता था कि उसका बेटा पढ लिख कर कोई ढंग की नौकरी कर ले पर उसे इस तरह मजदूरी न करनी पड़े ।
मेहनत कर उसे स्कूल भेजने लगा ।
बेटा होनहार था मन लगा कर पढ़ता था ।उसका भी संकल्प था कि पिता को अब इस तरह मेहनत नहीं करने देगा ।अब वह खुद बड़ा हो गया है कुछ काम तो कर ही सकता है ।
एक दिन स्कूल से आते हुए उसने देखा कि पिता का ठेला ,जिस पर बोझ लदा था ,सड़क के गहरे गड्ढे में फंस गया था और पिता जोर लगाने के बाद भी उसे नहीं निकाल पा रहे थे ।बेटे की आँखों में आँसू आ गए ।उसने अपना बस्ता वहीं रखा और नीचे बैठकर पहिये को गड्ढे से निकालने के लिए जोर लगाने लगा ।एक बच्चे को मदद करते देख कुछ और लोग भी सहायता के लिये आ गये ।पहिया गड्ढे से निकल गया ।
बेटे ने बस्ता उठा कर ठेले पर रखा और ठेला खुद खींचने लगा ।पिता पीछे से धक्का लगा रहे थे ।
सड़क की यह हालत देख कर और पिता के कष्ट को समझकर उसने कुछ निश्चय किया ।
वह पिता का ठेला ले जाकर उसपर जहां कहीं भी ईंटे पत्थरऔर कंकरीट मिलती उन्हें ले आता और रास्ते में पढ़ने वाले गड्ढों को भरता जाता जिससे किसी दूसरे को भी कष्ट न हो ।
ऐसा करते देख लोगों ने नगर निगम के अधिकारी को बेटे का कार्य दिखाया और सरकारी मदद की अपील की ।
एक बच्चे का उत्साह देख कर लोक निर्माण के एक सहृदय अधिकारी ने सड़क के गड्ढों पर ध्यान दिया और उनकी मरम्मत का काम शुरू करा दिया ।
बेटे ने अपना प्रयास जारी रखा । जनता के कष्टों को समझ प्रतियोगी परीक्षाओं में आवेदन करता रहा ।समय आने पर लोक निर्माण विभाग में अधिकारी पद पर नियुक्ति पा कर संकल्प पूरा किया ।
रेनु सिंह