जैसे को तैसा
एक किसान के दो बेटे थे । उसने अपने बच्चों के पालन पोषण में कोई कसर नहीं छोड़ी थी ।दोनो वयस्क हुए। परंतु बड़ा बेटा आज्ञाकारी था और छोटा बुरी संगति के कारण बिगड़ चुका था।वह अपने पिता से अक्सर विवाद किया करता था। पिताजी भी आज नहीं तो कल सुधरेगा की आशा में कुछ कहते नहीं थे। दोनो का समय पर विवाह कर दिया गया।खेती बाड़ी भी बराबर बांट कर किसान सब कुछ अपने बेटों को सौंपकर तीर्थाटन के लिए चल दिए।
कुछ वर्ष बीते छोटा बेटा बुरे व्यसनों के कारण अपनी थोड़ी थोड़ी ज़मीन बेचने लगा। दोनो को एक-एक लड़का था।वे भी बड़े होने लगे। बड़े बेटे का लड़का काम में रुचि लेकर खेती करने लगा और छोटे का लड़का आलसी एवं गंवार निकला। लोगों से लड़ना झगड़ना ओर घर में पड़े रहना उसकी दिनचर्या थी । वह अपने लड़के से परेशान रहने लगा।एक दिन उसे किसी अपराध में पुलिस पकड़कर ले गयी ओर जेल में डाल दिया।
आज उसे अपने किसान पिता की याद आने लगी।उसे बहुत पश्चाताप हुआ।काश मैं भी अपने पिता की आज्ञा का पालन कर खेती बाड़ी में मेहनत करता,तो शायद आज मुझे यह दिन नहीं देखना पड़ते।
सच ही कहा गया है -ईश्वर जैसे को तैसा ही फल देते हैं।


राजेंद्र सिंह झाला
उ.श्रे.शि.
बाग जिला धार मप्र

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