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मेरे नसीब तुम,मेरे हमदर्द तुम,रहम कुछ मुझपे करो।
मैं तेरी हूँ जीवनसाथी , जुल्म मुझपे ना करो ।।
मेरे नसीब तुम——————।।
बड़े अरमान से तुझको, बसाया है दिल में ।
फूल मैंने बिछाये हैं तेरी राह और मंजिल में ।।
मैं तेरी हूँ हमसफर, खुशी से प्यार मुझसे करो।
मेरे नसीब तुम——————–।।
नजर नहीं तुमको लगे, आँचल के साये में रखती हूँ।
हमदम करने को मदद , हमसाया बनकै चलती हूँ।।
मेरी खुशी – ख्वाब तु ही है, वहम ना मुझपे करो।
मेरे नसीब तुम——————।।
छोड़कर जाऊंगी नहीं, तेरा यह साथ कभी मैं।
तोड़ूंगी वादा नहीं , तुमसे यह रिश्ता कभी मैं।।
मेरी बन्दगी हो तुम ही, बेघर ना मुझको करो।
मेरे नसीब तुम ————————-।।
रचनाकार एवं लेखक-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
ग्राम- ठूँसरा, जिला- बारां(राजस्थान)