जी हाँ, हम बढ़ रहे हैं,
विकासशील है हम,
विकसित बनने के लिए,
जीत रहे हैं हर दौड़,
राष्ट्र दौड़ रहा है,
प्रगति के पथ पर।
फुरसत नहीं है किसी को,
सब एकाग्रचित्त है इस दौड़ में,
गरीब भी दौड़ रहा है,
तो अमीर भी दौड़ रहा है,
और नारी भी दौड़ रही है,
इस प्रगति के पथ पर।
गरीब पसीना बहा रहा है,
अमीर पैसा बहा रहा है,
नारी बेड़ियां तोड़ रही है,
बुलन्दी को छूने के लिए,
शान्ति से जीने के लिए
प्रगतिशील हैं ये सभी,
इस प्रगति के पथ पर।
और पीछे नहीं है दीवानें भी,
अपनी लक्ष्मी को पाने के लिए,
दौड़ रहे हैं स्वयम्भर में,
तैयार है हर प्रकार की जंग के लिए,
चाहे जायज हो या नाजायज,
और दिखाना चाहते हैं,
कि हम किसी से कम नहीं,
आजमा रहे हैं सब अपनी किस्मत,
जी हाँ, प्रगति के पथ पर।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला-बारां(राजस्थान)