ओ मेरे जीवन साथी!
हमने रच ली अपने संग की अनोखी कहानी।
हर कदम पर साथ है औ हरदम का साथ होगा।
यह सफर है सुहाना,सब रंगो का आशियाना।
इस अनुपमेय सफर में साथी, हम साया साथ होगा।
सुख-दुःख के नहीं हैं मायने बस हाथों में हाँथ होगा।
कैसे भी दिन आएं इक दूजे का साथ होगा।
चिंतित कभी कहीं न होना, मेरा साया साथ होगा।
कर्म करते रहे, पग धरते रहे,
हर गीत गुनगुनाया आगे भी ऐसा ही होगा।
गमों के बादल हों या खुशियों की हो बरसात ।
नज़रें इनायत उसकी,यूँ ही साथ चल चलेंगे।
विगत तैंतालिस वर्षों की असंख्य, अपरिमित, अविस्मरणीय सुख-दुःख, प्रतिपल की अनुभूतियां हैं स्मृति-कुंज की सर्वोत्तम कृतियां,
जैसे इतनी गुज़र गई है आगे भी बढ़ चलेगी।
अब तो न फिक्र है किसी बात की फिर क्यूँ उदास होना।
यूँ ही हँसते-मुस्कुराते कट जाना है सफर ये।
ले हाथों मेें हाँथ तेरा, प्रभु नाम लेते लेते।
पता भी न चलेगा रस्ता कितना भी लम्बा होगा।
हरदम हमसफ़र मेरा तेरा अमर साथ होगा।
वक्त मिला है फुर्सत का, रच डालें ऐसी कहानी।
दूजी न हो कोई बने उद्धरण हर जुबानी।
कहते न थके कोई, एक राजा और इक रानी।
देखी नहीं वैसी कोई, जीवन साथी की रवानी।।
रचयिता-
सुषमा श्रीवास्तव
मौलिक कृति
रुद्रपुर सिटी
ऊधम सिंह नगर
उत्तराखंड।