योग हमारे भारत के ऋषियों मुनियों की देन,
हजारों साल पूर्व चरक,धवन्तरी और सुखेन।
प्राचीनतम परंपरा का यह स्वास्थ्य का आधार,
दुनिया रही मानती हमारे ऋषियों का आभार।
स्वामी रामदेव ने इसे वास्तव में दिया विस्तार,
कितने शिविर लगा देश दुनिया में किये प्रचार।
दुनिया भरमें इस योग को पहुँचाये हर घर द्वार,
करने लगे योग ज्यादातर पायें रोगों के उपचार।
मोदीजी 2014 में संयुक्त राष्ट्र में किया आह्वान,
योग का घोषित करें कोई १विश्व दिवस विद्वान।
संयुक्त राष्ट्र में इसकी उपयोगिता पर हुआ मंथन,
177 देश के सदस्योंने इसको कर दिया समर्थन।
दिसम्बर 2014 में इस हेतु तय किया माह जून,
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस तिथि है घोषित 21जून।
विश्व में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2015 से है शुरू,
भारत नई दिल्ली के राजपथ से बनाहै विश्व गुरु।
मोदी के नेतृत्व में योग केलिए जुटी भीड़ अपार,
योगा जो किये प्रथम दिन संख्या थी 35 हजार।
तबसे होता आरहा ये 7वां योगा दिवस इस बार,
योग करें निरोग रहें और रोगों से होये बेड़ा पार।
सुखी शरीर रहे इससे व नई स्फूर्ति ऊर्जा मिलती,
मन प्रसन्न रहे इससे व चेहरे पे आभा भी दिखती।
अमन चैन के संग जीवन में हरपल खुशियाँ रहती,
84लाख योनियों में मानव तन बारबार न मिलती।
प्रातः उठ दैनिक क्रियासे निपट करें फिर यह योग,
आधा घंटा नित कर लेनेसे आये पास न कोई रोग।
चंचल मन स्थिर रहे जीवन की हर तृष्णा जाये दूर,
बूढ़े बच्चे महिला पुरुष युवा सभी करो इसे भरपूर।
रोग देख घबरायेगा पास नही फटके रहे कोसों दूर,
अच्छे स्वास्थ्य का लड्डू समझो योगाहै मोती चूर।
रचयिता :
डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
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