जिंदगी अपने विभिन्न रंग हैं दिखाती ,
कभी हमें हंसाती तो कभी ये रुलाती |
कभी इठलाती, कभी बलखाती,
नादानी हमसे कई सारी कराती |
रिश्तो में कई जख्म भी हम भरते,
जीवन को अनदेखा भी करते |
जिंदगी हो जाती तब बेमानी ,
जरूरतमंद को जब अनदेखा करते |
कभी रूठती हैं हमसे, कभी मनाती,
न जाने कितने रंग यह दिखाती |
हर रंग जीवन का हैं अलग ,
चाहे तुम ढूंढो जाकर फलक |
इसकी प्यारी सी एक झलक ,
मिले हमें तो मिल जाए तख्त |
राजा हो या रंक हो कोई ,
साधु हो या गृहस्थ हो कोई |
जीवन के रंग सबके अपने ,
कर्मों से मिल भर जाते सपने |
फूलों की बगिया मिलती किसी को ,
तो कांटो की राह मिले यहाँ किसी को |
उन्नति के शिखर पर तो वहीं पहुंचे,
जख्मों को किसी के जो न खरोंचे |
हर रूप जिंदगी का हैं सजता,
रंग सपनों में हर किसी के भरता |
रंग- बिरंगी यह हैं दुनिया देखो,
जीवन कितना संगीन हैं देखो ||
शिखा अरोरा (दिल्ली)