जीवन है एक अग्निपथ
नित नए संघषो का मेला यहा
जीने की जिसे चाह यहा
भला उसे कौन रोक पाया है।।
जीवन मे न हो यदि सुख दुःख संगम
तब तक इसका मोल
कहा कोई जान पाता है
जब हुआ चुनौतियों से सामना
तब अपनी ताकत का भान हुआ
साहस है मुझमें कितना
ये अब कहा मैं जान पाया था
अग्नि में जल कर ही कुन्दन
तब खरा सोना कहलाता है।।
सुमेधा शर्व शुक्ला