जीने की राह
सबको गले लगाकर प्रेम भाव फैलाकर।
जीने की राह बनाएँ।।
दंभ द्वेष पाखंड छोड़कर।
जन जन में समभाव फैलाएँ।।
जीवन छोटा राह कठिन है।
मिलकर नई रीति चलाएँ।।
हिंसा ,झगडा़ करना छोड़कर।
जियो और जीने दो की राह सुझाएँ।।
स्वरचित मौलिक अप्रकाशित सर्वाधिकार सुरक्षित डॉक्टर आशा श्रीवास्तव जबलपुर