राधा बहुत दुखी है।जबसे बडी बहन की शादी हुई है।राधा का कही भी मन नही लग रहा।उदास सी सारे घर मे घूम रही है।
राधा ऐसी लडकी।जो अगर ए बार कोई देख ले तो अपने  को रोक नही पाता उससे प्यार करने से।भगवान ने फुर्सत से घडा था शायद।बड़ो से कैसें अदब से बात करनी है।छोटी को कैसे प्यार देना है वह उससे सीखे कोई।बहुत दिनों से घर मे चहल-पहल थी।उसकी बडी दीदी की शादी जो थी।राधा भाग भाग कर शादी की तैयारी मे हिस्सा ले रही थी।छोटी बहन थी। कुछ तो जिम्मेदारी उसकी भी थी।
शादी के दिन अपसरा सी लग रही थी राधा।शादी से पहले जब दीदी को देखने आये थे तो राधा को देखते ही उसकी दीदी की ससुराल वाले कहने लगे हमारे छोटे वाले लडके किशन के साथ आप की ये बेटी ब्याह दो।तो गंगा नहाते जाए।दोनों बहने।सर्वगुण संपन्न है ।
पर राधा के पिता ने हां नही भरी।एक तो राधा की उम्र अभी शादी लायक नही थी दूसरा ऐसे ही किसी के भी पल्ले कैसे बांध दे अपनी बिटिया को ।सगाई पर भी दीदी का देवर नही आया था।विदेश से जल्दी से टिकट नही बनी।सगाई बहुत जल्दी में हुई थी।
राधा को भी इंतजार था।जिस का रिश्ता उसके लिए आया था वो कैसा था। बरात दरवाजे पर पहुंचने वाली थी।राधा का दिल ऐसे धड़क रहा था जैसे नयी नवेली दुल्हन का धडकता है।जब बरात पहुंची राधा और उसकी सहेलियां दूल्हे का स्वागत करने पहुँचे ।जैसे रिबन कटाई की रस्म हुई।तभी किसी ने राधा के ऊपर जोर से फाॅग वाला सप्रे किया।।वो राधा की आखों में जाने वाला था तभी किसी ने राधा के चेहरे के आगे हाथ अड़ा दिया।तभी पीछे से लडके वालों मे से किसी ने तंज कसा।”भाई होने वाली थी पर हुई नही किशन।”राधा ने जब किशन का नाम सुना तो एकदम से हडबडा कर उधर देखा। एक सुन्दर सजीला नौजवान उसको हाथ से आदाब कर रहा था।राधा शरमा गयी।तुरंत अन्दर भागी।और धीरे से आदाब किया।राधा को वो गाना याद आने लगा।”ए यार तेरी पहली नजर को सलाम “।राधा को ऐसा लग रहा था जैसे किशन की नजरें उसका पीछा कर रही थी।शादी की रस्मे शुरू हो चुकी थी ।वरमाला के बाद दूल्हा दुल्हन का खाना परोसा गया।उसमे राधा अपनी दीदी के पास बैठी थी।उधर दूल्हे के दोस्त और भाई सब लोग बैठे थे।किशन की पूरी कोशिश थी कि किसी तरह राधा के पास आकर बैठ जाये।और वो अपनी कोशिश मे कामयाब भी हो गया।तभी किसी ने कहा भई किशन तू लडके वालों की तरफ से है या लड़की वालों की तरफ से। बेचारा किशन झेंपते हुए बोला।”मुझे तो जो जगह मिली मै बैठ गया।”सब खाना खाने मे लगे थे हंसी ठिठोली चल रही थी।तभी राधा को कोई काम याद आ गया।राधा जब उठकर गयी तो किशन भी पीछे पीछे चला गया।जब राधा कमरे से बाहर निकली तो कॉरिडोर में किशन उस का इंतजार कर रहा था तभी राधा का हाथ पकड कर उसे कौने मे ले गया।और पनीली आखों से राधा को देखते हुए बोला।,”क्या कमी है मुझ में जो तुम्हारे पिता ने सगाई के लिए मना कर दिया ।मै तो तुम्हे तभी से चाहने लगा हूँ जब से तुम्हारे फ़ोटो भाई की सगाई की एलबम मे देखे थे।तुम्हे बिना देखे ही चाहने लगा था।तुम मेरी हो और किसी की नही हो सकती।खाओ कसम।”इधर राधा का भी यही हाल था।बेचारी कुछ ना कह पायी बस इतना ही बोली।”पिता जी से पूछिए।”और आखों मे आँसु भर कर मंडप की ओर चली गयी जहाँ दीदी के फेरों की तैयारी हो रही थी।फेरे हो रहे थे।किशन लगातार राधा को देखे जा रहा था।जैसे बहुत सी बातें हो जो उन्हे आपस मे करनी थी।विदाई का वक्त आ गया।दीदी  रोयें जा रही थी।सभी से गले मिलकर।राधा भी दीदी की विदाई पर रो रही थी पर उस मे किशन से बिछड़ने का गम भी था।दीदी ससुराल चली गयी साथ किशन भी चला गया।पता नही कब मिलने का वादा करके।राधा का मन कर रहा था कि वो जाकर पूछे कब मिलोगे। कही से राधा के हाल पर ही गीत बज रहा था।”जिंद ले गया वो दिल का जानी ये खाली मकान रहगयाआआआआ।……
रचनाकार:–मोनिका गर्ग
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