तू अस्सी का मै पचहत्तर की ,
खत्म होने को डोर जीवन की,
तेरे साथ कितना वक्त जी लिए,
जिंदगी के हर पहलू मे साथ रहे,
कभी वो रूठना मनाना,
गुस्सा दिखा के फिर प्यार जताना,
उम्र के हर पडाव पे साथ निभाना,
मेरा शर्माना, कभी तेरा गुस्से में देखना,
मै हसीना तू दीवाना,
कितना सुंदर था वो जमाना,
अब सब कुछ खत्म हो गया,
जीवन मे अब कोई रस नही ,
हम दोनों के अब कुछ भी बस मे नही,
सांसे कब छोड़ दे साथ, पर हो हाथों में हाथ,
लाठी ही है अब साथी, न जाने हो जाए हम कब माटी,
साथ छुटे न हमारा,
क्यूकि हम दोनों हो गए है एक दुसरे के आदि।
काश हमारी सांसे भी हो एक दूसरे के साथीl