यूँ ही बैठे बैठे जिंदगी के पन्ने पलट रही थी,
उन पन्नों में बहुत सी धुंधली सी यादें अतीत की थीं,
कुछ खट्टी ,कुछ मीठी , कुछ कड़वी,कुछ तीखी,
पर यादें जैसी भी हो दिल को झकझोर देती है,
यादें जीने की वजह बन जाती है ,
कितना ही हम उन्हें भुलाने की कोशिश करें,
किसी न किसी मोड़ पर सामना हो ही जाता है,
कितने आगे निकल आये बहुत खूबसूरत लम्हें पीछे छूट गए,
कुछ नए रिश्ते जुड़ गए ,कुछ हाथों से छूट गए,
जो जुड़ गए उन्हें सहेज कर हैं रखने,
छूटे रिश्ते अब नहीं हो सकते अपने,
वक़्त जो निकल गया, वापस न आएगा,
जी लो सुकून से वरना, वर्तमान भी फिसल जाएगा,
तेरा मेरा करते करते ,जीवन व्यर्थ गंवाएगा,
भज ले बन्दे प्रभु का नाम ,जीवन सफल हो जाएगा….
नेहा शर्मा