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आज ज़िन्दगी के शून्य पर हूँ झूल रहा,
अंधेरे ब्रह्मांड में अपनी परछाई को ढूंढ रहा, 
पर सुन ले ऐ ज़िंदगी..इस शून्य पे चढ़कर असंख्य तक जाऊँगा, 
सारे सितारों को अपने प्यादे बना ऐ सूरज..तुझसे शर्त लगाऊँगा, 
मैं शून्य ही सही पर एक अदब जरूर है मुझमे
हूँ किनारे पे खड़ा पतवार साथ में लिए, 
और है औकात तो आज़मा ले ज़िन्दगी… 
 हूँ निशस्त्र और तू है खड़ी तलवार हाथमें लिए, 
भयभीत नहीं हूँ तुझसे, लड़ पड़ा हूँ हौसलों की ढाल साथ में लिए, 
और इन बाजों की भीड़ को तुम ही रखो.. 
तुझसे ऊँचा उरुँगा मैं चिरैयों की नीड़ हाथ में लिए,
मैं शून्य ही सही पर एक अदब जरूर है मुझमे। 
गँगा का हूँ वेग मैं, भीष्म के नेत्रों का तेज मैं, 
प्रलय पश्चात भी जो खिल उठे हूँ वोपुष्प शेष मैं
महादेव का त्रिशूल हूँ, 
निर्बल मुझे तू कहता है..तेरी वो भूल हूँ, 
मत सोच कि मुझे प्यासा रख जीत जाएगा तू, 
क्योंकि..बंजर जमीन फाड़ कर भी जो खिल जाए मैं वो फूल हूँ..
मैं शून्य ही सही पर एक अदब अदब है मुझमें
जिंदगी जीने की सबक है मुझमे,हारना तो मैंने सीखा ए बचपन से
पर हार कर, जीत का कसक है मुझ में
पर हार कर कर,जीत की सबक है मुझमे
ना झूठ,ना फरेब ना मन मैला ना द्वेष,
सचाई ए जिंदगी, तेरी झलक है मुझमे,
मैं शून्य ही सही पर एक अदब जरूर है मुझमे।
प्रितम आपने मंजिल की बात क्या बताए  आप लोगो से मंजिल मेरे तब भी दूर थे हालातो से और मजबूर भी थे
 गिर कर उठना ,उठ कर चलना,चल कर गिरना,पर दौड़ ने की फिदरत है मुझमे,
मैं शून्य ही सही पर एक अदब जरूर है मुझमे।
पहाड़ो से हम दूर खड़े है पर यकीकन कई दफा उससे लड़े भी है,
एक दिन जीत जायेगे यह सोच कर की कई दफा खुद से भी भिड़े है,
हां हारने का सौक,और जितने का कसक है मुझमे
मैं शून्य ही सही पर एक अदब जरूर है मुझमें।,,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,स्वरचित🌻🌹🌻🌹🌻🌹🌻
          प्रितम वर्मा🌹🌻🌹🌻🌹🌻
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