कैसे कटा ये अपना सफर।
ढ़ल गई जिंदगी की दोपहर।
मैं तुम में ही खोई रही उम्र भर।
तेरे साथ हर पल सुहाना रहा
क्या पाया, क्या खोया,
क्या पाकर गँवाया पता न चला 
मैं तुम्हारी रहूँ… ,यही चाहत रही।
तेरे साथ हर पल सुहाना रहा।
बीता वक्त और जवानी गई
कभी मैं बैसाखी कभी तुम छड़ी बन गए।
कब आया बुढ़ापा, पता न चला।
तेरे साथ हर पल सुहाना रहा।
कभी खुशियों की बहारें 
कभी दुख के बादल छाए।
गम के तूफानों में हम डगमगाए
तेरे साथ हर पल सुहाना रहा।
दोस्त थे, फिर हमसफ़र बन गए
माता पिता से दादा दादी हो गये,
खुशियों को समेट कर्तव्यों में जकड़े।
तेरे साथ हर पल सुहाना रहा।।
कभी दुख कभी सुख के छाँव भी आए।
कभी नम आँखों में भी हम मुस्काए।
कभी साथ-साथ हम यूँ ही गुनगुनाए
तेरे साथ हर पल सुहाना रहा।।
कभी तुम से रूठी, कभी तुमको मनाया।
अपनी अदाओं से तुम को रिझाया
कब तुम्हारी हुई मैं पता न चला।
तेरे साथ हर पल सुहाना रहा।।
न इस जन्म न अगले जन्म
हर जन्म “अम्बिका” तुम्हारी रहे।
करती हूँ प्रभु से यही कामना।
तुम सलामत रहो ओ मेरे साजना।।”
शादी की सालगिरह की बहुत-बहुत शुभकामनाएं 🌹
           अम्बिका झा ✍️
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