कभी कभी यूँ भी होता है
सारी जिंदगी हम यूँ ही
किताबों में बीता देते है
और जिंदगी का अनुभव
नहीं कर पाते हैं और
सफलता पाने में असफल
होकर किताबों का बोझा
ढोते फिर रहे होते हैं
हमें वो कामयाबी नहीं
मिल पाती जो हम चाहते हैं
या यूँ कहें जिसके हम हकदार है
और हमारा हक वो ले जाते हैं
जो इसके लायक ही नहीं थे
डिग्रियां तो बहुत सी इकट्ठी कर ली
पर जिंदगी की पढ़ाई के लिए
जो डिग्री हमें चाहिए वो है ही नहीं
और हम मारे मारे भटकते फिरते हैं….
नेहा शर्मा