जल है अनमोल खजाना
जल ही जीवन है
सूख रहे स्रोत जल के
सूखे नदी और झरने
ताल तलैया सब ही सूखे
पशु पक्षी पानी को तरसे
अपनी प्यास बुझाने को
तलाश में पानी की भटकते
दिख जाता पानी जहां
उसमे किलोर करने लगते
मानव ने किया 
धारा को जल
पानी की कीमत नही समझते
व्यर्थ बहाते जल को
अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाते
मानव से तो पक्षी भले
एक एक बूंद का महत्व समझते
व्यर्थ बहने देते नहीं जलको
उससे अपनी प्यास बुझाते
समय रहते चेता नहीं मानव
तो पड़ेगा बहुत पछताना
पानी की एक एक बूंद को तरसेगे
लुट जायेगा अनमोल खजाना।
  
स्व रचित।   हिमलेश वर्मा
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