मची है पानी की त्राहि त्राहि
सब तरफ हो रही है तबाही
आज इंसान जल हेतु तरसे हैं
पशु पक्षी का जीवन भी जल से है !!
नहर नाले सूख गए ,
पानी के लाले पड़ गए,
पक्षियों की न बुझती प्यास
बैठे है नलके के ऊपर
मन में लिए पानी की आस !!
बेचारे पक्षी पानी के बिन, देह त्याग हैं कर रहे ,
तपती धूप और गर्मी से, तिल तिल करके मर रहे !
पक्षी का भी जीवन है,आप सब क्यों नही समझते ?
उनके जीवन रक्षा हेतु , हैं क्यों नही कुछ करते ?
आग्रह आप सभी जन जन से है
मन को उदार जरा बनाइए!
मिट्टी के बर्तन में जल भर कर
अपने बालकनी या छत पर रख दीजिए !!
वैसे तो श्राद्ध के दिनों में ,कौवे बहुत पूजे जाते ,
मान कर पूर्वज उनको हम सब , विविध पकवानों से ,आवभगत हैं करते!!
पूर्वज अपने कौवे है, तो क्या मात्र पंद्रह दिनों के लिए है!
उसके बाद उनका जीवन और प्राण
क्या बिलकुल अर्थ हीन है?
मानव जरा विवेक पर, अपने तुम ध्यान दो
जीवन पाए हो मानव का, उसको तुम जरा मान दो !
ईश्वर की सबसे प्यारी, अदभुत तुम रचना हो
स्वर्ग में तो ईश्वर है पर यहां धरती पर तुम पशु पक्षियों के विधाता हो!!
उनकी सेवा करना तुम्हारा ,कर्तव्य है सदा बनता
उनके जीवन की रक्षा, तुमको है सदा करना
मत काटो पेड़ को हरियाली तुम सदा रखो
पेड़ लगाओ देश बचाओ जग में जल से कल बनाओ!!
जल ही जीवन ,जीवन जल है
जल बिन नही कोई कल है
बूंद बूंद पानी की कीमत का
सबको तुम एहसास कराओ!!
पूनम श्रीवास्तव