माँ जिसे बुलाती जाता तेरे दरबार ,माँ की ज्योति जली है ,जग में है उजियार बोलो जय मात दी ।।
                                  
बोले जाओ जय माता जी कदम कदम बढ़ते जाओ  माता ने बुलाया है चलते जाओ बोलो जय माता जी।।
      
मील जाएगा माँ वैष्णव देवी का द्वार माँ का आशिर्बाद ममता और दुलार 
बोलो जय माता जी!!
                             
तू घट घट बासी घट घट में तेरा रूप तू अम्बे  जगदम्बे तेरे चरणों में  संसार बोलो जय माता जी।।
                          
शिव ,ब्रह्मा, विष्णु माँ की स्तुति गावे भाग्य भगवान को पावे माँ शेर पे सवार आयी करने जग कल्याण बोलो
जय माता जी।।
                          
जग हुआ निहाल जग करता दर्शन माँ का अद्भुत श्रृंगार घर परिवार युग संसार बोलो जय माता जी।।      
माँ के हाथों शंख, चक्र, गदा ,पद्म त्रिशूल ,तलवार देवो का  अश्त्र शत्र शास्त्र जग करता दर्शन माँ का अद्भुत दर्शन बारम्बार बोलो जय माता जी।।
                    
माँ का  रूप देख सूरज चाँद लजाएँ देवन करे बखान जग करता दर्शन माँ  अद्भुत दुर्लभ भाग्य बोलो जय माता जी।।
माँ की चुनरी लाल माथे मुकुट सोहे रतन जड़े हज़ार जग करता दर्शन माँ का अद्भुत श्रृंगार बोलो जय माता जी।।
        
माँ पैरों की पैजानिया  जग आँगन में लक्ष्मी का व्यवहार जग करता दर्शन माँ का अद्भुत श्रृंगार बोलो जय माता जी।।
                            
माँ के गले बैजंती माला नाक में  नथिया कान की बाली जग जननी का अद्भुत विग्रह बहार जग करता दर्शन माँ अद्भुत शृंगार बोलो जय माता जी।।
                      
 नन्द लाल मणि त्रिपाठी (पीताम्बर ) गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।
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