जय जय श्री परशुराम भगवान,
त्रेता में जन्मे अदम्य महाबलवान,
भगवान विष्णु के आवेशावतार
जमद्गनी -रेणुका अनमोल सुत,
मात पिता के आज्ञावान,
अक्षय तृतीया को थे जन्मे,
तेज और ओज से परिपूर्ण,
भगवान शिव के भक्त अटूट,
परशु पाकर परशुराम बने
वीरता की थे अलग पहचान,
इक्कीस बार किया संहार क्षत्रिय का,
भीष्म, कर्ण को दिया शास्त्र ज्ञान,
माता का वध क़र एक क्षण में,
पिता की आज्ञा का किया सम्मान,
प्रसन्न पिता ने ज़ब पूछा वरदान
मांग लिया क़र दो पुनर्जीवित माँ को
दे दो फिर अजेय वरदान,
रुष्ट हुए ज़ब अवरोध बने गजानन 
चला फरसा किया प्रहार,
एकदन्त कहलाये गजानन,
कठिन तपी कहलाये चिरंजीवी,
मिला भूलोक वास का वरदान,
हर युगवासी नमन है आपको 
हे प्रभु परशुराम वंदन आपको
निकेता पाहुजा
रुद्रपुर उत्तराखंड
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