तेरी मेरी कहानी
हो गई वर्षों पुरानी
जो नहीं जिस्मानी
वो तो बन गई रूहानी
न हुई कभी मुलाकात
बस आँखों ही आँखों में
हो गया था इज़हार
खामोशी ने जता दिया
दिल के छुपे वो अहसास
जो लब कह न सके
जो जज्बातों के अल्फ़ाज़
कुछ थी अपनी मजबूरी
जो हो गयी थी दूरी
फिर भी दिल में
अब तक बसा रखा है
तुम्हारी वो मीठी याद
पता है कभी न मिल पाएँगे
पर तुम्हारी यादों को
सीने में दबाकर ही
इस दुनिया से चले जायेंगे….
नेहा शर्मा