आज बड़े दिनों बाद अपने लिए चाय बनाई
हर घूंट में मैं ज़िन्दगी के खोए पल जी आई
सुकून के पल मेरे हिस्से आते है नसीब से 
रोज़ की जद्दोजहद से थोड़ी आज़ादी पाई।
दिनभर एक मशीन की तरह चलना होता
पसंद नापसंद को तत्पर हो साधना होता
आज अपनी पसंद से धूल की परत हटाई
देखना चाहूं की अंजाम इसका क्या
होता।
सबके संग में ही सारी खुशियाँ जी लेती हूँ
तवज्जो अपनी ही मुस्कान को नहीं देती हूँ
आज चाय की चुस्की में शरारत घुली तो
लगा चंद पल हासिल खुद को कर लेती हूँ।
जमीं से जुड़ी रहकर ही परवाज़ अपनी पास सहेज़े है
मेरे सपनों पर तो हरदम लगते रहे
पहरे है 
हर पहर सबको मुझसे जाने किस आस की रही दरकार
छू लो आसमान यही आज इस पल 
मेरा भी अरमान है।
स्वरचित
शैली भागवत “आस”✍️
Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

<p><img class="aligncenter wp-image-5046" src="https://rashmirathi.in/wp-content/uploads/2024/04/20240407_145205-150x150.png" alt="" width="107" height="107" /></p>